नई दिल्ली, Red Sea: यमन के बांदरगाह क्षेत्र में हुए हूती विद्रोहियों के हमले के बाद, लाल सागर को एक बड़ी Ship sinks in Red Sea समुद्री घटना ने गंभीर स्थिति में डाल दिया है। हूती मिलिटेंट्स ने एक यमनी जहाज पर हमला कर दिया, जिसके बाद जहाज लाल सागर में डूबने लगी है।
UP News Hindi: इजरायल और हमास के बीच पिछले अक्टूबर में शुरू हुए युद्ध के बाद, लाल सागर से गुजरने वाले व्यावसायिक जहाजों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यमन के हूती विद्रोही इन जहाजों पर लगातार हमला कर रहे हैं। हूती विद्रोहियों ने अब तक लगभग दो दर्जन ऐसे जहाजों को निशाना बनाया है। हूती विद्रोहियों ने हाल ही में एक व्यावसायिक जहाज पर हमला किया था। इसके बाद जहाज में आग लगी।डूबते हुए जहाज से स्रोतों ने स्थानीय प्रशासन को बताया कि लाल सागर की सुरक्षा में सुधार की जरूरत है। हूती विद्रोहियों के हमले का सही जवाब देने के लिए सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है।
हमले के बाद चालक दल ने जहाज छोड़कर बच गया। वर्तमान में कहा जा रहा है कि ये जहाज समंदर में डूब गए हैं। हमले के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई व्यावसायिक जहाज पानी में गिर गया है। जहाज के डूबने से समुद्री जीवों को भी खतरा है। क्योंकि इस जहाज पर घातक कैमिकल थे
रूबीमार नामक जहाज पर हुआ था हमला
याद रखें कि लाल सागर में जिस जहाज पर हमला हुआ, उसका नाम रूबीमार था। जो अब लाल सागर में डूब गया है। यमन सरकार ने कहा कि हमले के बाद रूबीमार लाल सागर में बह रहा था। इसके बाद इसमें पानी धीरे-धीरे भरने लगा और अंततः डूब गया। ये पहला जहाज है जो विद्रोहियों के हमले से पूरी तरह से नष्ट हो गया है।
जहाज के डूबने से पर्यावरणीय क्षति
माना जाता है कि इस जहाज पर अमोनियम नाइट्रेट उर्वरक का माल था। जहाज के डूबने को यमन के प्रधानमंत्री अहमद अवद बिन मुबारक ने एक अभूतपूर्व पर्यावरणीय आपदा बताया। जॉर्डन विश्वविद्यालय के समुद्री विज्ञान विभाग ने बताया कि लाल सागर में बड़ी मात्रा में उर्वरक बहने से समुद्री जीवों को खतरा हो सकता है।
स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस हमले के कारण जहाज के तट पर हो रहे तटसंरक्षण कार्यों के बावजूद, जहाज डूबने का खतरा बना रहता है। इससे समुद्री जीवों को होने वाले खतरे पर चिंता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हमले समुद्री जीवों को भी प्रभावित करते हैं, जिससे उनकी प्रजातियों को बचाना मुश्किल होता है। इससे समुद्री जीवों की संख्या में कमी आ सकती है और समुद्री जीवों को बचाने के लिए किए गए प्रयासों में बाधा आ सकती है।
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